Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग-7(First Day)




"बैटरी  लो है यार,चल कैंटीन  से आते है..."अपने पेट पर हाथ फिरा कर मैं बोला...

"चल आजा, माल ताड़ेंगे उधर..."

वैसे तो सीनियर्स की क्लास लगी हुई थी उस वक़्त, लेकिन कुछ ऐसे भी होते है, जो क्लास बंक करके कैंटीन  पहुच जाते है, जब हम कैंटीन  के अंदर गये तो वहाँ आइटम्स तो थी, लेकिन साथ मे हमारे सीनियर्स भी थे और वो ऐसे बैठे हुए थे जैसे कॉलेज उनके बाप का हो.... और वो यहाँ के अमिताभ बच्चन.

"चुप चाप ,एक कुर्सी पकड़ ले, वरना लफडा हो जाएगा..."अरुण ने मुझसे कहा

मैं उस वक़्त कुछ नही बोला,और हम दोनो ने साइड की कुर्सी पकड़ ली....

"उसको देख..."अरुण का इशारा कैंटीन  मे एक तरफ बैठे हुए सीनियर की तरफ था, जो कि कुछ स्टूडेंट्स के साथ बैठा बाते कर रहा था....

"क्या हुआ..."मैने भी उसी तरफ देखा...

"उसका नाम वरुण है, साला 7 साल से इस कॉलेज मे पढ़ रहा है, लेकिन आज तक फाइनल  ईयर  मे ही लटका हुआ है..."

जब अरुण ने मुझसे कहा तब मैने उसकी तरफ गौर से देखा, वो अपने साथ बैठे स्टूडेंट्स मे से ज़्यादा उम्र  का लग रहा था, और अपने पैर से टेबल के नीचे से दूसरी तरफ बैठी हुई लड़की के पैर को सहला रहा था....

"ये लड़किया भी ना जाने कैसों-कैसों से पट जाती है..."उस लड़की के लिए झूठा दुख व्यक्त करते हुए मैने अरुण से पुछा"ये 7 साल वाला है किस ब्रांच का..."

"अपने ही ब्रांच का है साला और कुछ लोग कहते है कि ये फाडू रैगिंग  लेता है..."

रैगिंग.... ये  सुनकर गला सुख गया, उस समय यही एक चीज़ थी जो मुझपर हावी थी, जब से मैं कॉलेज कैंपस के अंदर घुसा था, यही चीज़ मुझे डरा रही थी....

"साला ,ये रैगिंग  बंद कर देना चाहिए..."पानी पीते हुए मैं बोला, पानी के पूरा एक ग्लास खाली करने के बाद थोड़ा सुकून आया,

"बंद है प्यारे  ,    रैगिंग... तो सालो से बंद है लेकिन ये लोग ले ही लेते है..."

"ये साला कैंटीन  वाला कहाँ मर गया, बे ..."हाइपर होते हुए मैं बोला और मेरी आवाज़ पूरे कैंटीन  मे गूँज उठी , मेरा इतना कहना था कि सबकी नज़र एक मेरी तरफ हुई, मुझे देखकर कुछ अपने काम मे लग गये, कुछ ऐसे भी थे, जो मेरी तरफ ही देख रहे थे, उनकी शकल से लग रहा था कि ,वो मुझे मन ही मन मे गलियाँ बक रहे है.....तभी वो 7 साल से कॉलेज मे पढ़ने वाला उठकर हमारी तरफ आया, उसके साथ कुछ लड़के भी थे और वो लड़की भी , जिसके पैर वो फेलियर सहला रहा था ....

"किस ब्रांच का है..."मेरे सामने वाली कुर्सी को खींचकर वरुण ने मुझसे पुछा...दिल किया कि उस कुर्सी को एक लात मारकर दूर कर दूं, लेकिन फिर उसके बाद होने वाले मेरे हाल का अंदाज़ा लगाकर मैं रुक गया....

"मैकेनिकल , फर्स्ट  ईयर ..."वो रावण मेरे सामने वाली चेयर पर पूरा का पूरा समा गया था,

"मुझे जानता है..."

"ह..ह..हाँ.."गला एक बार फिर सूखने लगा और जैसे ही मैने पानी वाले ग्लास की तरफ हाथ बढ़ाया उस रावण ने मेरा हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से दबाने लगा, दर्द तो कर रहा था, लेकिन मैने अपने मुँह  से एक आवाज़ तक नही निकाली और ना ही उससे बोला कि मेरा हाथ छोड़ दे और ना ही अपने चेहरे पर दर्द का कोई भाव लाया

"टफ गाइ...huh.. पर पानी बाद मे पीना, पहले मेरे सवालो का जवाब दे..."वो मेरे हाथो को अब भी पकड़े हुए था और अपना पूरा ज़ोर लगाकर दबाए पड़ा था...

"अबे साले... कुत्ते... हरामी... , छोड़ मेरे हाथ को वरना यही पटक पटक कर मारूँगा...."उसकी आँखो मे आँख डालते हुए मैने सिर्फ़ आँखो से कह दिया....

"आँख नीचे करे बे..."वरुण के साथ जो लड़के आए थे, उनमे से एक ने मेरा सर पकड़ा और जबरदस्ती  नीचे झुका दिया..गेम शुरू हो चुका था, और मुझे अंदाज़ा हो गया था कि अब कुछ ना कुछ बुरा ही होगा....

मेरे बाए हाथ की हड्डियो का कचूमर बना कर उसने मेरा हाथ छोड़ा और फिर मेरे गाल को पकड़ कर बोला"बेटा, औकात मे रहना सीखो और सीनियर्स को रेस्पेक्ट दो..."

वरुण की आइटम अपने चेयर से एक समोसा उठाकर लाई और उसका आधा टुकड़ा खाकर बाकी मेरे चेहरे पर थोप दी, उस वक़्त शायद मैं बहुत गुस्से मे था, दिल कर रहा था, कि उस लड़की को खींच कर ऐसा थप्पड़ मारू कि उसका सर ही अलग हो जाए, लेकिन गुस्से को पीना पड़ा, मैं उन्हे देखने के सिवा और कुछ नही कर सका.....वो सभी मुझपर कुछ देर हँसे और चले गये...तभी वरुण के साथ वाली लड़की ,जिसने मेरे चेहरे की ये हालत की थी, मेरी नज़र उसकी पिछवाड़े पर पड़ी और मैने मन ही मन मे ये शपथ ली की, "इसको तो ऐसा पेलुँगा की सब जगह से इसके खून का रिसाव  होगा...."

अपना नाम मेरी बीती ज़िंदगी मे सुनकर मेरे खास दोस्त वरुण ने मुझे मेरी कॉलेज लाइफ से बाहर घसीटा....

"अबे, ये 7 साल से लगातार फैल होने वाले लड़के का नाम वरुण कैसे है...

"अब तू ये उसके बाप से पुछ, कि उसने उसका नाम वरुण क्यूँ रखा..."

"ले यार एक और पेग बना..."अरुण ने अपनी खाली ग्लास मेरी तरफ बढ़ाई, और मैने वरुण की तरफ...

"रात हो गयी क्या..."मैने उठने की कोशिश की ,लेकिन सर घूम रहा था, इसलिए वापस बैठ गया...

"दिन है बे अभी...दोपहर के 12 बज रहे है..."वरुण ने पेग बनाकर ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया और बोला"आगे बता, कैंटीन  के बाद क्या हुआ..."

"कैंटीन  के बाद..."

मुझसे यदि उस वक़्त कोई कुछ और पुछ्ता तो शायद मैं नही बता पाता, लेकिन मेरी कॉलेज मे बीती ज़िंदगी मुझे इस तरह याद थी कि रात को 12 बजे भी कोई उठा के पुछे तो मैं उसे बता दूं.. और अभी तो दिन के 12 बजे थे.. इसलिए भूलने का तो सवाल ही पैदा नही होता.

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उस दिन कैंटीन  की हरकत ने मुझे झंझोड़ कर रख दिया, अरुण भी चुप बैठा हुआ था, मैं बुरी तरह गुस्से मे था, और जब कैंटीन  वाला हमारा ऑर्डर लेकर आया तो मैं बोला...

"अब तू ही खा इसे..... पहले लाया होता तो उस रावण के आने से पहले ही खाकर निकाल गया होता मै.. साले निकम्मे"

मैं वहाँ से गुस्से मे उठा और कैंटीन  से बाहर आ गया, अरुण भी पीछे-पीछे था..
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"अरमान, रुक ना बे,..."अरुण दौड़ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और मुझे रोक कर बोला"भूल जा..."

" उस लौंडिया का क्या नाम है , जिसने मेरे चेहरे पर समोसा पोता ..."

"उसका नाम तो मुझे भी नही मालूम..."ऐसा बोलते बोलते अरुण ने मुझे गले लगा लिया, पता नही साले मे क्या जादू था की मेरा गुस्सा शांत होने लगा....

"दूर चल, मैं समलैंगिग  नही हूँ..."जब मेरा गुस्सा पूरी तरह शांत हो गया तो मैने कहा...

"एक बात बता, तुझे वरुण के साथ वाली लड़की माल लगी ना..."मुझसे अलग होते हुए अरुण ने मुझसे पुछा..

"माल तो है, इसीलिए तो उसका नाम पुछा.. फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजूंगा.. फेसबुक मे "

"तो भाई, उसे भूल जा, वरना वरुण नंगा करके दौड़ाएगा..."

"वो उतनी भी हॉट नही है कि मैं उसके लिए पूरे कॉलेज मे नंगा दौड़ू.. वैसे भी अपना सच्चा प्यार तो दीपिका मैम है.."

उसके बाद हम दोनो अपनी क्लास की तरफ आए, फर्स्ट ईयर  की सारी क्लास आस-पास ही थी, इसलिए लंच मे हर ब्रांच की लड़कियो को लाइन मारा जा सकता था....हम दोनो अपनी क्लास के बाहर खड़े स्टूडेंट्स के पास जाकर खड़े हो गये,जहाँ ग्रूप बना कर कुछ लड़के बाते कर रहे थे और जैसा कि मैने सोचा था टॉपिक गर्ल्स पर ही था.....

"कहाँ गये थे यार..."नवीन ने हम दोनो से हाथ मिलाया और पुछा...

"कैंटीन ..."अरुण ने जवाब दिया...

"कैंटीन  "उसकी आँखे ना जाने कितनी बड़ी हो गई ये जान कर जब उसने सुना कि हम दोनो कैंटीन  से होकर आए है...
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"क्या हुआ..."उसकी बड़ी -बड़ी आँखो को देखकर मैने पुछा...

"रैगिंग  हुई ,तुम दोनो की..."

रैगिंग ....ये सुनकर मैं और अरुण एक दूसरे की आँखो मे झाँकने लगे और सोचने लगे कि इसे क्या बोला जाए...

"नही...किसी ने रैगिंग  नही ली..."

"आज तो बच गये ,लेकिन कल से उधर मत जाना, सीनियर्स डेरा डाल के रहते है उधर...."

"तो क्या हुआ,  हमारी फटती  है क्या सीनियर्स से ..."ये लफ्ज़ मैने ऐसे कहा, जैसे कुछ देर पहले वरुण की उस हॉट आइटम ने नही बल्कि मैने उसके फेस पर समोसा डाला हो.....

"देख भाई, जानकारी देना अपना काम था..."नवीन बोला

"वैसे और कहाँ-कहाँ ये सीनियर्स पकड़ते है हमे..."

"तीन जगह फिक्स्ड है, 1st:  कैंटीन, 2nd: सिटी बस and third one is hostel"

हम इस मसले पर कुछ देर और भी बात करते लेकिन उसके पहले ही वहाँ खड़े लड़को मे से किसी एक ने टॉपिक को चेंज करके, अपने कॉलेज की हसीनाओ पर गोल मारा.....और इस मामले मे सबसे पहला नाम जो आया वो था दीपिका मैम ,...सब यही चाह रहे थे कि दीपिका मैम  उनसे सेट हो जाए, कुछ ठरकीयों ने तो ये तक बोल दिया था कि...

"आज कॉलेज से जाने के बाद दीपिका मैम  को सोचकर मन ही मन उनके साथ वो अब करूँगा जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है  "

"तू भी बोल ले कुछ..."अरुण ने मुझे कोहनी मारी....

"मैं तो उस  वरुण की माल को सोचकर वो सब करूँगा  ,."
"वरुण..."ये नाम सुनकर सब चुप होकर मेरी तरफ देखने लगे,..वो  सब मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि मैने किसी का मर्डर करने का पब्लिक मे एलान कर दिया हो....

"मैने तो ऐसे ही बोल दिया..."मैने बात वही ख़तम करनी चाही...

"यार, ऐसे मत बोला कर, कहीं से वरुण को मालूम चल गया तो फिर पंगा हो जाएगा..."

नवीन की बाते सुनकर मैने चारो तरफ देखा और जब कन्फर्म हो गया कि ,हमारे गॉसिप को किसी ने नही सुना तो मैं बोला...

"डरता हूँ क्या, मै किसी से  "

"देख, ज़्यादा शेर मत बनियो, वरना पिछवाड़ा खोल देगा, वरुण ..."अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....

कुछ देर और कॉलेज की लड़कियो के बारे मे बाते करते हुए, हमने अपना समय बर्बाद किया और इसी बीच मुझे और भी कयी सारे facts  मालूम हुए जो कि हमारे कॉलेज मे बरसो से चले आ रहे थे....

1. जब तुम फर्स्ट ईयर  मे ही रहो ,तब ही कोई माल पटा लो,वरना पूरे 4 साल खाली हाथ से काम चलाना पड़ेगा और होंठ पर लड़की के होंठ की जगह बोरो प्लस लगा कर रहना पड़ेगा....

2. हमारा कॉलेज सरकारी. था, इसलिए कॉलेज के प्रिन्सिपल और टीचर्स को भले ही रेस्पेक्ट ना दो ,लेकिन वहाँ काम करने वाले वर्कर और चपरासी को सर कहकर बुलाना पड़ेगा, जिससे टाइम आने पर वो हमे लंबी लाइन से बचा सके....
उस दिन एक और ज़रूरी फैक्ट  जो मालूम चला वो ये था कि...

3. जब भी कोई माल पटाओ तो उसे जल्द से जल्द ठोक दो...  हमारे कॉलेज मे पढ़ने वालो का मानना था कि गर्लफ्रेंड को ठोकने के बाद लड़किया, लड़को से किसी स्ट्रॉंग केमिकल बॉन्ड की तरह बँध जाती है....

उस दिन और भी कुछ मालूम चलता यदि लंच  के बाद मैथमेटिक्स वाली मैम  ना आती तो....

"कितना बात करते हो तुम लोग,पूरे कॉरिडर मे तुम लोगो की आवाज़ आ रही है..."सामने वाली बेंच पर अपनी बुक्स रखकर गणित  वाली मैम  ने डाइलॉग मारा....

मैथ्स वाली मैम  का नाम दमयंती था, जो बाद मे हमारे बीच "दम्मो  रानी" के नाम से फेमस हुई l


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7 Comments

Rohan Nanda

16-Dec-2021 12:00 PM

😋😋🤣

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Sana Khan

01-Dec-2021 02:02 PM

Good

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Kaushalya Rani

25-Nov-2021 09:05 PM

Interesting..

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